हम ‘स्वतंत्रता दिवस’ मनाते शान से,
मस्तक ऊँचा करते हैं अभिमान से |
यहाँ ‘यूनियन जैक’, फिरंगी राज था,
पहली बार तिरंगा फहरा आज था,
भारत-जननी बंधन में लाचार थी,
जनता दुःख से करती हाहाकार थी,
हम जूझे थे आंधी से तुफान से
मस्तक ऊँचा करते हैं अभिमान से |
आता हैं पन्द्रह अगस्त जिस राह से
फुल बिछाते हम उस पर उत्साह से
अमर शहीदों की भी आती याद है
जिनके दम से हुआ आजाद है
यह स्वतंत्रता हमें मिली बलिदान से
मस्तक ऊँचा करते हैं अभिमान से |
हर चेहरे पर चमक निराली आज है
घर-घर दीप जले दिवाली आज है
भारत माता के होंठो पर हास है
सबके मन में एक नया उल्लास है
दसो दिशाएं गुज रहीं जयगान से
मस्तक ऊँचा करते हैं अभिमान से |
हमें तिरंगा ध्वज देता सन्देश हैं
सब देशों से सुन्दर अपना देश है
जिसके मन में मातृभूमि का प्यार है
वही देश का कर सकता उपकार है
यह सन्देश सभी सुनते हैं ध्यान से
मस्तक ऊँचा करते हैं अभिमान से |
इस स्वतंत्रता के हम पहरेदार हैं
हर कर्त्तव्य निभाने को तैयार हैं
दूर रहेंगे हम नफ़रत, अलगाव से
प्रेम बढ़ाएंगे हम सब सद्भाव से
हमको अपना प्रण प्यारा है जान से
मस्तक ऊँचा करते हैं अभिमान से |